Rohit और Virat अब भी रणजी ट्रॉफी क्यों नहीं खेल रहे हैं?




रोहित शर्मा और विराट कोहली रणजी ट्रॉफी के मैच अभी भी क्यों नहीं खेल रहे हैं। आख़िर न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ उनकी असफलता की वजह तो यही मानी जा रही थी ना कि उन्होंने रेड-बॉल क्रिकेट नहीं खेली, रणजी ट्रॉफी नहीं खेली। अब जब न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ उनकी मट्टी पलीद हो गई है और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट श्रृंखला शुरू होने में 17 दिन बचे हैं, तो भाई अब तो रेड बॉल क्रिकेट का अभ्यास कर लो। मुंबई का रणजी ट्रॉफी का मैच उड़ीसा के ख़िलाफ़ नवंबर ६ से शुरू हो रहा है। दिल्ली का मैच चंडीगढ़ के ख़िलाफ़ भी इसी दिन शुरू हो रहा है। रोहित मुंबई के लिये खेलते हैं और विराट कोहली दिल्ली के लिए। रोहित ने 2015 के बाद से कोई रणजी ट्रॉफी का मैच नहीं खेला है। विराट कोहली ने 2013 के बाद कोई रणजी मैच नहीं खेला । सचिन तेंदुलकर तक ने अपने रिटायरमेंट से पहले रणजी ट्रॉफी का एक मैच 2012 में खेला था। लोगों को याद आता है कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, ज़हीर ख़ान, अजीत अगरकर वग़ैरह ने वेस्ट इंडीज के ख़िलाफ़ एक श्रृंखला 2007 में जनवरी 31 को ख़त्म की। श्रृंखला ख़त्म होते ही अगले दिन तेंदुलकर, गांगुली, ज़हीर ख़ान और अजीत अगरकर रणजी ट्रॉफी का मैच खेलने पहुँच गये। मुंबई और बंगाल के बीच रणजी ट्रॉफी फाइनल था। ये सभी खिलाड़ी अपनी अपनी टीम का मान रखना चाहते थे। तेंदुलकर ने उस मैच में सेंचुरी बनाई, गांगुली ने 90 और ज़हीर ख़ान ने झोली भर विकेट लिये। इसी वजह से इन खिलाड़ियों के आगे शेन वार्न और मुरलीथरन की भी इंडिया में एक ना चलती थी। उस समय ये नहीं होता था कि मैच बहुत ज़्यादा खेलने पड़ रहे हैं। अब के खिलाड़ी का ये बहाना होता है कि आईपीएल के दो महीने भी खून निचोड़ लेते हैं। तो भाई खून निचोड़ लेते हैं तो मत खेलो। कोई दबाव नहीं हैं। पर फिर ये 20 इयो करोड़ रुपये जो लूटते हो वो नहीं मिलेंगे। अब चाहे इस बात को कोई माने या ना माने, हमारे सीनियर खिलाड़ियों का टेस्ट मैच में रुझान कम हो गया है। रोहित और विराट का पिछले पाँच साल का रिकॉर्ड देख लीजिए। T20 का कोई मैच नहीं छोड़ते हैं और उन बेजान पिचों पर जहां विकेटें सपाट होती हैं और कोई फ़ील्डर पास में नहीं होता है, वहाँ उनको रक्षात्मक खेलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। और जब पड़ती है, जैसे इस न्यूज़ीलैंड श्रृंखला में पड़ी, तब टाँके खुल जाते हैं। पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ़ तो ये तक कहते हैं कि अजाज़ पटेल और ग्लेन फ़िलिप्स कोई बॉलर हैं। कैफ़ का ये कहना है पटेल और फ़िलिप्स जैसे बॉलर किसी भी अच्छे क्लब में भरे पड़े होते हैं। वो कहते हैं कि पटेल एक ओवर में कम से कम दो गेंदें या तो शोर्ट फेंकते हैं या फुल टॉस। और ऐसे गेंदबाज़ों को हमारे दिग्गज बल्लेबाज़ नहीं खेल पाये। माना विकेट स्पिन लेने वाली थी पर फिर भी न्यूज़ीलैंड के स्पिनर साधारण ही थे। फिर आप कोच गौतम गंभीर को भी देखिए, कैसे दिमाग़ में पत्थर पड़े हुए थे। उनसे पहले के कोच राहुल द्रविड़ का विकेट बनाने वालों को सख़्त निर्देश था कि सामान्य विकेट बनाओ। कोई स्पिन का विकेट बनाने की ज़रूरत नहीं है। पर बैंगलोर में पिटने के बाद गंभीर ने सिर्फ़ स्पिन लेती पिचों का ही सहारा लिया।पाँच दिन के मैच ढाई दिनों में ख़त्म हुए। टीमें मुश्किल से 250 रन बना पा रही थी। एक तो हमारे बैट्समैन वैसे ही फॉर्म में नहीं थी। फिर ऐसी विकेटें जिसमें अजाज़ पटेल जैसे साधारण स्पिनर काल की तरह उभरे। और अब जब आपकी स्पिन के ख़िलाफ़ पोल खुल गई है, फिर भी रोहित और विराट रणजी ट्रॉफी मैच नहीं खेल रहे हैं। ऐसे में आप ही बताये, ऑस्ट्रेलिया में इन दोनों का क्या हाल होने वाला है?