Rinku Singh के साथ ये सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है?
आपको एक मज़ेदार बात बताऊँ। दिसंबर 14, 2023 से इंडिया ने T20 के मैचों में सिर्फ़ एक मैच हारा है। 23 मैचों में 22 मैच जीते हैं। पिछले 11 मैचों से कोई भी मैच नहीं हारा है। इन सारे 23 मैचों में रिंकु सिंह खिलाए जाते रहे हैं। लेकिन उन्हें फिनिशर के रूप में यानी आख़िरी की कुछ गेंदें ही खेलने को मिलती हैं। 27 मैचों में 283 गेंदें। यानी हर मैच में 10 गेंदें उन्हें खेलने को मिली हैं। फिर भी उन्होंने इन 283 गेंदें में 490 रन ठोंक दिये हैं। 40 चौके हैं तो 30 छक्के। 54 का औसत। 73 का स्ट्राइक रेट। दो बार टीम इंडिया ने जल्दी शुरुआती विकेट गवाएँ, और रिंकु सिंह को ऊपर खेलना पड़ा। जब उन्हें ज़्यादा गेंदें खेलने को मिलीं, उन्होंने टीम को सम्भाला, संवारा और नैया पार लगाई। फिर भी टीम इंडिया ने उन पर फिनिशर का ठप्पा लगा दिया है। उनको कुछ ही गेंदें खेलने को दी जाती है। ये टीम इंडिया के साथ तो अन्याय है ही पर इस खिलाड़ी के साथ तो उससे भी बड़ी ज़्यादती है। रिंकु सिंह का फर्स्ट क्लास करियर ये बताता हैं कि रिंकु एक संपूर्ण बैट्समैन हैं। 50 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं और 7 शतक और 22 अर्धशतक लगाये हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में बंदे का औसत 54 का है। आप हर ऐरे ग़ैर को नंबर चार पर खिलाते हो। पर कभी रिंकु को ऊपर खिलाने की सोच भी आपके दिमाग़ में नहीं आती। तिलक वर्मा में ऐसे क्या सुरख़ाब के पंख लगे हैं कि उन्हें ज़्यादा गेंदें खेलने को मिलें? क्या वो रिंकु सिंह से बेहतर बल्लेबाज़ हैं? क्या रिंकु सिंह से ज़्यादा तेज़ खेल सकते हैं? फिर रिंकु के साथ ये ज़्यादती क्यों? होने को टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर हैं जिन्होंने क़रीब से रिंकु सिंह को कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलते देखा है। उनके दिमाग़ में ये बात नहीं क्यों आती कि इसे ऊपर खिला के देखें। अब आप जसप्रित बुमराह को ही ले लें। शुरुआत में हर कोई कह रहा था कि ये लड़का सिर्फ़ वाइट बॉल क्रिकेट में गेंद कर सकता है। टेस्ट मैचों के लायक़ नहीं है। जब उसे टेस्ट मैचों में मौक़ा मिला तो उसने मुड के नहीं देखा। आज वो दुनिया के सबसे अच्छे तेज गेंदबाज़ माने जाते हैं। रिंकु सिंह को ना केवल वाइट-बॉल क्रिकेट में ऊपर खिलाना चाहिए। बल्कि जब टीम इंडिया के बल्लेबाज़ इस तरह से टेस्ट मैचों में फेल हो रहे हैं, तो आपको रिंकु के अनुभव का फ़ायदा पाँच दिन की क्रिकेट में भी उठाना चाहिए। किसे मालूम कि जसप्रित बुमराह की तरह वो पाँच दिन की क्रिकेट में भी लंबी दौड़ का घोड़ा साबित हो। टीम इंडिया में इतने दिग्गज हैं। गौतम गंभीर, रोहित शर्मा, विराट कोहली वग़ैरह वैगरह। बाहर भी एक से बढ़ कर एक सीनियर क्रिकेटर हैं। किसी के दिमाग़ में ये बात क्यों नहीं आती। आप जब किसी को मौक़ा ही नहीं दोगे तो कैसे मालूम चलेगा कि क्या टैलेंट हैं। आप देवदत्त पदीकाल और रजत पातिदार वग़ैरह तक को टेस्ट मैच में खिला लेते हो। पर रिंकु दिमाग़ में नहीं आता। सरफ़राज़ ख़ान आपके लिये हीरो हैं। रिंकु का इण्डियन क्रिकेट में कोई माँ बाप नहीं हैं।