Virat Kohli ग़लत आदतों में पड़ गये हैं: Pujara




विराट कोहली, विराट कोहली। भाई, इतना अच्छी सीख आपने पर्थ में सीखी थी। इतनी जल्दी भूल गए? उस सीख के रहते आपने दूसरी पारी में शतक लगाया था। उस शतक के भरोसे टीम इंडिया ने अच्छी शुरुआत को 500 रनों के पास पहुँचाया था। उस स्कोर के आगे ऑस्ट्रेलिया ने घुटने टेक दिये थे। पर फिर से आप अपनी पुरानी ग़लत आदतों में पड़ गये हो। क्या क्रिकेट पर अब आपका सारा ध्यान नहीं रहता है। विराट कोहली ने पर्थ की पहली पारी की गलती एडिलेड टेस्ट की पहली पारी में दोहराई। और इस रिपीट को उनके एक पुराने साथी ने पकड़ लिया। ये वो साथी है जिसने बरसों से कोहली के साथ बल्लेबाज़ी की। ना जाने कितने घंटे इन्होंने क्रीज़ में एक साथ बिताये हैं। ना जाने कितनी हज़ारों गेंदें इन्होंने आपस में खेली हैं। इस साथी ने कोहली की दोहराई हुई गलती पकड़ ली है। पकड़ ली है वो बुरी आदत जो कोहली चाह कर भी नहीं छोड़ पा रहे हैं। इस साथी का नाम चेतेश्वर पुजारा है। पुजारा कहते हैं कि कोहली की आजकल एक बुरी आदत हो गई है। और वो ये कि वो हर गेंद को खेलना चाहते हैं। पर्थ टेस्ट में उन्होंने ये गलती सुधारी थी और कई गेंदें ऑफ=स्टंप के बाहर छोड़ी थी। पर एडिलेड में उन्होंने फिर अपनी पुरानी गलती फिर से करना शुरू कर दी है। अगर वो अच्छी गेंदों को छोड़ने की मानसिकता रखते तो उस उछलती हुई गेंद को आराम से छोड़ देते। ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ों ने पहले दिन की अपनी बल्लेबाज़ी में यही कर के दिखाए। उन्होंने ऑफ-स्टंप के बाहर की गेंद एक तरह से छू ही नहीं। इसके रहते उन्होंने पिंक गेंद होने के बावजूद, लाइट्स में बल्लेबाज़ी करने के बावजूद, नई गेंद होने के बावजूद, सिर्फ़ एक विकेट गिरने दिया और स्कोर 86 रनों तक पहुँचाया। बात सिर्फ़ विराट कोहली के आउट होने की नहीं है। पहली गेंद पर यशस्वी जयसवाल का विकेट खोने के बावजूद टीम इंडिया के लिये दूसरे विकेट के लिये शुभमन गिल और केएल राहुल के बीच अच्छी साझेधारी हुई थी। स्कोर 69 रनों पर एक ही विकेट खोया था। पर दूसरा विकेट गिरते ही, कोहली क्रीज़ पर आये और पारी को सुधारने के बावजूद उसे गड्ढे में धकेल दिया। कोहली बीच के बल्लेबाज़ी की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वो जब सस्ते में आउट होते हैं तो पूरी पारी दबाव में आ जाती है। 69 पर एक का स्कोर फिसल के ७७ पर तीन हुआ, 81 पर चार, 87 पर पाँच और 109 पर छह। वो तो नीतीश रेड्डी ने बाद में गिरती हुई दीवार को सहारा दिया नहीं तो 130-140 रनों पर पारी निपट जाती। तो क्या अब हम ये मान लें कि विराट कोहली तभी रन बनायेंगे जब शुरुआत शानदार हो। अगर ख़राब शुरुआत हुई तो विराट कोहली उसे और भी ख़राब कर देंगे? और बाद के बल्लेबाज़ों पर और भी दबाव डाल देंगे। अब इस बात को कहने में कोई भी दिक़्क़त नहीं है कि कोहली की परेशानी उनके दिमाग़ में हैं। उनकी तकनीक और फिटनेस में कोई दिक़्क़त नहीं है। पर शायद उनकी रनों की भूख ख़त्म हो गई है। बचे हुए तीन टेस्ट मैचों में और एडिलेड टेस्ट की दूसरी पारी में हमें अपने सवालों का जवाब मिल जाएगा। और ये कोहली के ऊपर ही है कि वो सबकी बोलती बंद करें।