Virat Kohli : आगे से मेरे बारे में बोलना तो सोच के बोलना!
विराट कोहली को स्पिन खेलना नहीं आता है । तो भाई, पर्थ टेस्ट में अपने सैकड़े में कोहली ने नैथन लयोन की 58 गेंदें खेली और 40 रन बनाये। एक छक्का तो ऐसा था जो कम से कम कोहली से तो कोई भी उम्मीद नहीं कर सकता है। कोहली गेंद की पिच पर नहीं थे । ऐसा भी लगा कि वो स्वीप करने जा रहे हैं। पर जब गेंद स्वीप के लिए उन्हें अनुकूल नहीं लगी तो वही से बल्ला आगे की तरफ़ झाड़ू की तरह चलाया । और वहीं से छक्का आया और वो भी गेंदबाज़ के सर के ऊपर से। तो ये तो था जवाब उनके लिए जो कहने लगे थे कि विराट को अब स्पिन खेलना नहीं आता। फिर लोगों ने ये कहना शुरू कर दिया था कि विराट तेज़ गेंदबाज़ों को ऑफ-स्टंप के बाहर खेलने से अपने को रोक नहीं पाते हैं। अपना बल्ला अड़ाते ही अड़ाते हैं और स्लिप के घेरे में धरे जाते हैं। ऐसा लोगो को लगने लगा था कि उनको अपने ऑफ-स्टंप का शायद ख़ास अंदाज़ा नहीं रह गया है। तो इस बार विराट ने ऑफ-स्टंप के बाहर उठती गेंदों को छोड़ना शुरू किया। और उनका जजमेंट परफ़ेक्ट रहा। फिर लोगो ने कहा कि विराट कोहली शतक लगाना भूल गए हैं। आख़िर इस पर्थ टेस्ट के सैकड़े से पहले पिछले पाँच सालों में उन्होंने दो ही शतक तो लगाये थे। आज से पहले उनका टेस्ट शतक 2023 की शुरुआत में आया था वेस्ट इंडीज के ख़िलाफ़। पिछले 35 टेस्ट मैचों में उनका औसत सिर्फ़ 33 का रहा है। पर इस पारी में शुरुआत से ही लग गया था कि विराट को शतक बनाने से कोई रोक नहीं सकता है। फिर उनके आलोचकों के मुँह एक और बात से इसलिए बंद हो गये क्योंकि ये लोग कहते थे कि विराट सिर्फ़ अपने लिए खेलते हैं। पर विराट ने 76 के बाद जिस तरह से रिस्क लेने शुरू किए वो कभी भी आउट हो सकते थे। पर विराट को मालूम था कि टीम पारी को घोषित करने वाली है। और आख़िरी के 30 मिनटों की गेंदबाज़ी ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ करना चाहती है। तो अगर विराट को अपनी सेंचुरी पानी है तो उन्हें तेज़ खेलना पड़ेगा। विराट ने किया भी यही। तेज़ खेल के अपना शतक बनाया। चाहते तो धीरे-धीरे भी बल्लेबाज़ी कर सकते थे। उनको सेंचुरी को रोक पाने की हिम्मत टीम इंडिया के कप्तान की भी नहीं थी। अगर कोहली 80 या 90 पर नॉट आउट हों और पारी घोषित कर दी जाये तो इंडिया में तो दंगे ही हो जायें। उस कप्तान का बेड़ा वैसे ही निकल जाये। कोहली अगर धीमे भी खेलते तब कोई भी कप्तान उनके शतक लगाने का इंतज़ार करता। बाद में कोहली ने कहा कि वो अपने प्रदर्शन से पहले टीम के भले की सोचते हैं। अब अगर इंडिया तीसरे दिन पारी घोषित करना चाहते हैं, तो कोहली सिर्फ़ अपने शतक के लिए उस प्लान को फेल करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थे। उन्होंने जाबांज़ी से बल्लेबाज़ी की भले ही ऐसा करते हुए वो आउट हो सकते थे। विराट की इस पारी से एक बात तो साबित हो गई। एक तो ये कि विराट कोई गया हुआ वक़्त नहीं हैं जो वापस ना आ सकें। उनके बल्ले में अभी भी वो धार है जिससे रन निकले। उनकी रनों की भूख भी बरकरार है। और उनकी फिटनेस अभी भी बेमिसाल है। अगले कुछ हफ़्तों में उनके फैन्स की यहीं दुआ है कि विराट ऑस्ट्रेलिया को जम कर कूटें। अगर ऐसा हुआ तो मज़ा आ जाएगा।