ऑस्ट्रेलिया ख़ेमे में हुई लड़ाई; टीम इंडिया ने मज़े लिये!
अगर आपके दुश्मन के ख़ेमे में फुट पड़ जाये तो इसका मतलब क्या होता है। इसका मतलब ये होता है कि आपका आधा रास्ता तो साफ़ हो गया है। टीम इंडिया को आजकल ऐसा ही लग रहा है। ऑस्ट्रेलिया की मीडिया में खबरें भरी पड़ी हैं कि ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ एक दूसरे को कोस रहे हैं। पर्थ टेस्ट में बुरी तरह से पीटने के बाद टीम के कप्तान पैट कमीन्स ने कहा कि अगर दूसरी टीम पारी घोषित कर दे, तो आपकी एक तरह से इज़्ज़त उतर ली गई है। मिचेल स्टार्क उधर बोले कि हमको अपने बल्लेबाज़ों से ज़्यादा रन चाहिए। वैसे ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाज़ी तो वाक़ई पहले टेस्ट में बेहद ख़राब दिखी। मार्नस लबूशेन ने अपनी पिछली 10 पारियों में 123 रन बनाये हैं। उनके एक पारी में ही 90 रन आ गये थे तो इसका मतलब कि बाक़ी की नौ पारियों में उन्होंने सिर्फ़ 33 रन बनाये। पर्थ में तो उनका एक तरह से जलूस ही निकल गया। पहली पारी में 52 गेंदें खेलीं और सिर्फ़ दो रन बनाये। दूसरी पारी में जसप्रित बुमराह की एक गेंद उन्हें लगा कि बाहर जा रही है और गेंद अंदर आ गई जिससे वो पग बाधा आउट करार दिए गए। स्टीव स्मिथ के भी हाल अच्छे नहीं दिखे। पहली पारी में तो पहली गेंद पर ही आउट हो गये। दूसरी पारी में 17 से ज़्यादा उनका स्कोर नहीं बना। स्मिथ ने पिछली 10 पारियों में सिर्फ़ दो बार 17 से ज़्यादा का स्कोर बनाया है। उनका औसत इन पारियों में 23 का है। ओपनर नैथन मैक्सविनी अपना पहला मैच खेल रहे थे। इसलिए उनकी असफलता को लेकर ज़्यादा सवाल नहीं किए जा रहे हैं। पर फिर भी साफ़ लगा कि उन्होंने जसप्रित बुमराह की कोई भी गेंद समझ नहीं आ रही है। उस्मान ख़्वाजा पिछले तीन सालों से ऑस्ट्रेलिया के सबसे दमदार बल्लेबाज़ रहे हैं। पर ये भी सच है कि उनके पिछले तीन टेस्ट मैचों की पारियों में स्कोर हैं: 33, 28, 16, 11, 8 और 4। उस्मान अब 38 साल के हो चले हैं तो तलवार उनके करियर के ऊपर भी लटक रही है। पर जब ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज़ों अपने बल्लेबाज़ों की कमी निकलते हैं तो बल्लेबाज़ भी अपने गेंदबाज़ों की पतलून उतरने में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि माना हम पहली पारी में फेल हुए। पर हमने लीड तो सिर्फ़ 46 रन की ही दी थी ना। आप गेंदबाज़ों का क्या? इंडिया के ओपनरों ने बिना आउट हुए 200 रन से ज़्यादा जोड़े। आपने लाख कोशिश की पर उन्हें आउट नहीं कर पाये। आपने इंडिया को इतने स्कोर पिटवा दिया। हमें 100 ओवर से ज़्यादा मैदान पर रखा। उसके बाद तो बदन में ताक़त ही नहीं रह जाती है। इसीलिए तीसरी संध्या में हमारा स्कोर ३ विकट पर १३ रन हो गया था। वहाँ से कोई भी वापसी करना असंभव था। आप अगर इंडिया को छोटे स्कोर पर रोक लेते तो हम थकते भी ना और हममें मैच जीतने का जज़्बा भी होता। पर जब लक्ष्य 500 रनों से ऊपर का हो, तो बल्लेबाज़ चौथी पारी में क्या कर सकते हैं? उधर टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के ख़ेमे में गहराती इस फुट का मज़ा ले रहे हैं। उनको लगता है कि वो एडिलेड में और भी मज़बूत होंगे। टीम के कप्तान रोहित शर्मा की वापसी हो रही है। शुभमन गिल की भी वापसी होती लग रही है। अश्विन या जडेजा या दोनों ही खिलाए जा सकते हैं। ऐसे में टीम की मंशा ये है कि जब दुश्मन डाउन हो, तो उसे पूरी तरह से लंबलेट कर दो।