Kohli का संन्यास लेने से इनकार: पर क्या चयनकर्ता सुनेंगे?




विराट कोहली को लेकर पुराने दिग्गजों में मतभेद है । सुनील गावस्कर कुछ कहते हैं और संजय मांजरेकर कुछ और। सुनील गावस्कर का कहना है कि अब विराट कोहली का अपना पुराना फॉर्म पाना मुश्किल है। गावस्कर कहते है कि कोहली पहले से फ्रंट फुट पर आने के लिए तैयार रहते हैं जिसकी वजह से उनके शरीर का भार आगे के पैर पर होता है। ऐसे में जब उन्हें पीछे जाना होता है उसमें उनसे वो एक  पल की देरी हो जाती है। अगर वो अपनी जगह पर खड़े रहें, और गेंद देख कर आगे या पीछे जायें, तो उनसे वो देरी नहीं होगी और वो गेंद को खेलने के लिये बेहतर पोजीशन में होंगे। ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज़ों को ये मालूम चल गया है और वो ऐसी गेंद फेंकते हैं जहां से कोहली को पीछे जाना पड़ता है। और वहाँ से वो विकेटकीपर या स्लिप के द्वारा आउट होते रहते हैं। गावस्कर का कहना है कि अब इस उम्र में कोहली के लिए ये गलती सुधार पाना मुश्किल होगा। इसके लिए उन्हें अपनी पूरी बैटिंग की शैली को बदलना पड़ेगा। पर ये शायद अब संभव नहीं है। कोहली अगर आगे आने की शैली छोड़ देंगे तो उनको अपनी बैटिंग की पूरी संरचना करनी पड़ेगी। उधर संजय मांजरेकर कहते हैं कि ये ठीक है कि कोहली के लिए पीछे जाने मुश्किल हो जाता है। और ये भी कि उनकी बैकफ़ुट की बैटिंग ना होना उनके लिए मुसीबत है। पर मांजरेकर ने कोहली के सारे आउट होने के तरीक़ों की झलक निकली और दिखाया कि जब कोहली फ्रंट फुट पर होते हैं तब भी वो ऑफ-स्टंप के बाहर की गेंद से छेड़खानी करते हैं और स्लिप में आउट हो जाते हैं। मांजरेकर कहते है कि सचाई ये है कोहली ऑफ-स्टंप के बाहर की गेंद पर बल्ला लगाये बग़ैर रह नहीं सकते हैं। फिर ये फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वो फ्रंट फुट पर है या बैकफ़ुट पर। इससे भी फ़र्क़ नहीं पड़ता कि गेंद की लेंथ क्या है। मांजरेकर कहते हैं कि क्या विडंबना है कि जो खिलाड़ी पूरी दुनिया में अपने कवर ड्राइव के लिए जाना जाता है अब वो उसी शॉट को मारने के चक्कर में आउट होता है। उधर इरफ़ान पठान कुछ और बेबाक़ी से बोलते हैं। पठान कहते हैं कि कोहली का पिछले तीन साल का औसत इस बात को दिखाता है कि कोहली की जगह शायद अब टीम में नहीं बनती है। ज़रा कोहली के औसत पर पिछले पाँच साल से नज़र दौड़ाइये। 2020 में 19 का औसत 2021 में 28 का औसत 2022 में 26| 2023 में 55 का । और 2024 में 24 का। इन पाँच सालों में कोहली ने सिर्फ़ पाँच शतक लगाये हैं। और टेस्ट खेले हैं 38। कहाँ ये बल्लेबाज़ 50 से ऊपर के औसत से अपने करियर में बल्लेबाज़ी कर रहा था। और कहाँ अब इसका औसत ४६ पर आ गया है। अब सवाल ये खड़ा होता है कि कोहली क्या टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे। या वो कोशिश करेंगे कि वो अपनी कमी दूर करें और फिर से अपने करियर को फोर्थ गियर में लें। कोहली का जो जुनून है अपनी क्रिकेट को लेकर, अपनी फिटनेस को लेकर, उससे तो लगता है कि कोहली संन्यास नहीं लेंगे। भारत का अगला टेस्ट श्रृंखला अब जून में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ उन्हीं की धरती पर होगी। यानी कोहली के पास काफ़ी समय है वो अपनी कमी को सुधार लें। मुश्किल सिर्फ़ ये है कि मार्च से लेकर मई तक घर में आईपीएल होता है। और इस बार तो कोहली के ही रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर में कप्तान होने की खबरें हैं। अगर कोहली आईपीएल में खेलते हैं, और पूरी लगन से खेलते हैं क्योंकि कप्तानी के साथ साथ उन्हें पैसे भी 21 करोड़ रुपए मिलते हैं, तो उनकी ये कमी दूर नहीं हो पाएगी। ना तो भारत की पिचों में इतना उछाल है और ना ही T20 में फ़ील्डर आस पास होते हैं। अगर कोहली को अपनी कमी सुधारनी है तो उन्हें इंग्लैंड में कुछ काउंटी क्रिकेट खेलनी पड़ेगी जिससे वहाँ की कंडीशंस में वो अपने को ढाल पायें। साथ ही साथ उन्हें रणजी ट्रॉफी भी खेलनी पड़ेगी क्योंकि साफ़ है कि रेड बॉल क्रिकेट खेलनी की आदत कोहली की छूट गई है। कोहली अगर अपनी खोई हुई साख पानी है तो उन्हें ये सब करना पड़ेगा। नहीं तो टेस्ट क्रिकेट में वो इसी तरह आउट होते रहेंगे और बेइज्जत होकर टीम से निकाले जाएँगे। अब कोहली का भविष्य उनकी सोच पर निर्भर करता है।