Gautam Gambhir की उल्टी गिनती शुरू हो गई है!
गौतम गंभीर की शायद उल्टी गिनती शुरू हो गई है। उनका कॉंट्रैक्ट यानी अनुबंध तीन साल का है। लेकिन पिछले छह महीने में ही टीम बिखरने लगी है। ऐसे में क्रिकेट बोर्ड ने एक कदम उठाया है जो सराहनीय है। गंभीर जब पहली बार श्री लंका गये तो वहाँ पर वो वन-डे सीरीज हार गये। लोगो को लगा कि शायद विराट, रोहित और बुमराह वग़ैरह नहीं हैं, इस लिये ऐसा हुआ। फिर घर में बांग्लादेश आयी और उन्हें हमने २-० से रौंदा। कानपुर में तो एक दिलेरी भरे डिक्लेरेशन से वर्षा से प्रभावित मैच में भी हमनें विजय प्राप्त की। फिर आयी न्यू ज़ीलैंड। न्यू ज़ीलैंड श्री लंका से पिट के आयी थी। हमें लगा बच्चों का खेल है। पर बाज़ी उल्टी पड़ी। हमनें मुँह की खाई। औंधे मुँह गिरे। एक नहीं दो नहीं तीनों मैच हार गए। विकेट पाटा थी तो हम हारे। विकेट स्पिन की बनायी, तो हम धुले। लगा कि विकेटें ख़राब हैं इस लिए ये सब कुछ हो रहा है। लिया में विकेटों ठीक होंगी और वहाँ हम चमकेंगे। पहले मैच में हुआ भी वही। हम पार्थ टेस्ट बड़े अंतर से जीते। पर उसके बाद हमारी धुलाई शुरू हुई। एक के बाद एक मैच हारे। ब्रिसबेन का मैच सिर्फ़ इस लिये बच गया क्योंकि वहाँ बरसात ने अपना प्रभाव छोड़ा था। ३-१ से सीरीज हारी। मैदान के बाहर भी टीम इंडिया से विवादास्पद बातें पब्लिक होती रहीं। रविचंद्रन अश्विन बीच टूर में ही घर वापस आ गये। उन्होंने संन्यास ले लिया। रोहित शर्मा एक मैच के बाद खेलने आये और आख़िरी मैच में खेले ही नहीं। उनका फॉर्म बेहद ख़राब था। ऐसे में टीम पर तो सवाल उठे ही, बल्कि टीम मैनेजमेंट भी सवालों के घेरों में आ गई। गौतम गंभीर की कोचिंग की शैली को लेकर सवाल उठे। पूर्व दिग्गज सुनील गावस्कर ने सार्वजनिक रूप से पूछा कि जब टीम की बैटिंग इतनी ख़राब चल रही है तो टीम का सपोर्ट कोचिंग स्टाफ क्या कर रहा है। टीम के बैटिंग कोच एक तरह से अभिषेक नायर है जो बहुत हल्के माने गये। उनको अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का कोई आईडिया नहीं है। ना उनकी बिसात है कि वो विराट या रोहित को बैटिंग सीखा पायें। और तो और विराट और रोहित नायर जैसे हल्के कोच की बात क्यों सुनेंगे? अब कोचिंग स्टाफ पूरा गौतम गंभीर की ज़िद पर लिया गया था। जब तक बोर्ड ने उनकी बात मान नहीं ली थी, तब तक गंभीर ने कोचिंग का कार्यकाल लिया भी नहीं था। जब बोर्ड उनकी बात मान गया, तब उन्होंने कोच का रोल स्वीकारा। पर अब बोर्ड तिलमिला उठा है। कह रहा है कि ऐसे नहीं चलेगा। इसके लिए उन्होंने जल्दी शुरू होने वाली इंग्लैंड के ख़िलाफ़ श्रृंखला में एक नए बैटिंग कोच का चयन किया है। नाम हैं सुधांशु कोटक। शायद ही आपने उनका नाम सुना हो। सुधांशु ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ८००० से ज़्यादा रन बनाये हैं। वो सौराष्ट्र के लिए खेलते थे। वो तकनीक के रूप में बेहद सराहे जाते हैं। अब इंग्लैंड के ख़िलाफ़ श्रृंखला जनवरी २२ से शुरू हो रही है। T२० के मैचों में तो शायद हमें उनका ख़ास योगदान नज़र ना आए। पर उसके बाद वन-डे सीरीज भी इंग्लैंड के ख़िलाफ़ है। उसमें विराट और रोहित दोनों होंगे। निगाहें होंगी कि देखें सुधांशु विराट और रोहित के साथ क्या करते हैं। या कुछ कर भी पाते हैं कि नहीं। जो भी हो ये साफ़ है कि विराट और रोहित का समय अब ख़त्म हो रहा है। बोर्ड ने जिस तरह से नयी लगाम लगाई है, जिसमें घरेलू मैच भी खेलने पड़ेंगे, परिवार आपके साथ ज़्यादा दौरे पर नहीं रहेगा, वग़ैरह वैगारह, ऐसे में रोहित और विराट टीम में टिक नहीं पायेंगे। इण्डियन क्रिकेट में उथल पुथल का दौर शुरू हो गया है। कहाँ तो T२० का वर्ल्ड कप पिछले साल लग रहा था कि हम आसमान पर हैं। हमारी कोई सानी नहीं है। पर गंभीर के आने के बाद छह महीने में ही टीम ज़मीन से लग गई है। कुछ कड़े निर्णय लेने की ज़रूरत थी। और बोर्ड ने वही किया है।