उस्ताद ने कान पकड़े तो भटके हुए Siraj रास्ते पर आये!
पिछले छह टेस्ट मैचों से मोहम्मद सिराज को विकेट नहीं मिल रहे थे। इन छह टेस्ट मैचों में उन्हें सिर्फ़ आठ विकेट मिले थे। लोगों को लगा कि सिराज को जब से तेलंगाना सरकार ने पुलिस में डिप्टी सुपरिटेंडेंट बनाया है, तबसे भाई के हाथ में डंडा आ गया हैं और गेंद छूट गई है। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ हाल की श्रृंखला में दूसरे टेस्ट मैच में तो उनको निकाल तक दिया गया था। पर पर्थ टेस्ट में सिराज ने अच्छी वापसी की। पाँच विकेट लिये। पुरानी लय ताल में नज़र आये। ऐसा क्या सिराज ने किया जिससे उनकी गेंदबाज़ी अच्छी हो गई| क्या वो किसी पीर औलिया के पास गये? क्या उन्होंने कोई मन्नत माँगी। क्या उन्होंने सजदे में कई दिन निकाल दिये। क्या किसी के इश्क़ में हमारे गबरू जवान पड़ गये। लोगों ने अलग अलग तरह की बातें करनी शुरू कर दी थी। पर सिराज जितनी मुश्किलों से यहाँ तक पहुँचे थे, वो इतनी आसानी से अपनी जगह टीम में छोड़ने को तैयार नहीं थे। सारे दरवाज़े तो खटखटा लिए। अब किसके पास जायें? ऐसे में सिराज को लगा कि जिसने मुझे सिखाया है, उसके पास तो में गया ही नहीं। सिराज ने फट से ऑस्ट्रेलिया से ही अपने कोच भरत अरुण को फ़ोन मिलाया। उनसे पूछा कि उस्ताद जी बताओ, कैसे गेंदबाज़ी पटरी पर आये। अरुण ने कहा कि तुम्हें जब अपनी कमी ही नज़र नहीं आ रही है तो तुम सुधरो के कैसे। तुम्हारी गेंद पड़ती कहीं है, जाती कहीं हैं, तुम्हारे कंधे गेंद करते वक़्त गिर जाते हैं, और तुम्हारी लाइन और लेंथ वाहियात होती जा रही है। तुम्हारी ख़ासियत थी कि तुम्हारी सीम पोजीशन परफ़ेक्ट होती थी। यानी तुम्हारी कलाई पूरी तरह से गेंद की सिलन के ऊपर होती थी। इससे तुम्हारी गेंद की दिशा परफ़ेक्ट होती थी। जब कलाई गेंद की सिलन के पीछे होती है तो तुम्हारा कंधा भी नहीं गिरता। तुम गेंद को अंदर भी आसानी से ला सकते हो और गेंद सीधी भी निकल सकती है। अब आया सिराज का अगला सवाल। गुरु, कलाई, गेंद की सीम के ऊपर कैसे क़ायम की जाए। मैं पूरी कोशिश करता हूँ, पर कर ही नहीं पा रहा हूँ। अरुण बोले, तुम गलती यहीं कर रहे हो की तुम कोशिश कर रहे हो। आराम से, रिलैक्स होकर जैसे पहले गेंद फेंकते थे, वैसे ही फेंको। ये मत सोची की मुझे ज़ोर से गेंद करनी है, पूरा दम लगाना है। पूरा दम लगाने की कोशिश में तुम्हारी कलाई, तुम्हारा कंधा सब कुछ सही जगह में नहीं रह पाता। सिराज ने कहा, हाँ में ये तो मानता हो। अब जब मुझे विकेट नहीं मिल रहे हैं तो में पूरी दम लगा देता हूँ। अरुण ने कहा कि तुम एक काम करो। इससे तुम्हारी लाइन और लेंथ भी अच्छी होगी। और तुम्हारी कलाई और कंधे की पोजीशन भी परफ़ेक्ट रहेगी। सिराज बोले, बताये क्या करूँ। अरुण बोले आप एक स्टंप लगा के गेंद फेंकने का अभ्यास करो। और उस एक विकेट पर यॉर्कर फेंकने की कोशिश करो। अगर तुम्हारी कलाई गेंद की सीम के पीछे नहीं होगी तो तुम यॉर्कर फेंक ही नहीं पाओगे। और अगर तुम्हारी यॉर्कर सही गिरने लगीं, तो तुम्हारी कलाई भी परफ़ेक्ट गेंद की सीम के पीछे होगी और तुम्हारा कंधा भी नहीं गिरेगा। सिराज ने अभ्यास किया और पर्थ में यहीं किया। जिस तरह से उन्होंने दूसरी पारी में स्टीव स्मिथ को आउट किया, वो पहले के सिराज की याद दिला गया। और सिराज टेस्ट मैच के बाद अरुण को बोल उठे: मान गये उस्ताद।