कौन है ये 13 साल का बालक जिस को लेकर करोड़ों लग गये?




सोचिए 13 साल की उम्र में आप क्या कर रहे थे। पाँचवी या छटी में होंगे। पीठ पे बस्ता , उसके अंदर खाने का टिफ़िन, जूतों पर मिट्टी। नाक भी बहती हुई। आप सोच भी नहीं सकते होंगे कि कोई आपको एक करोड़ से ज़्यादा रुपए आपकी क़ाबलियत पर देगा। भाई 13 साल में एक बच्चा क्या ही क़ाबलियत दिखा सकता है। पर अगर बच्चा वैभव सूर्यवंशी जैसा होनहार हो तो ऐसा हो सकता है। हो सकता है कि वो क्रिकेट के दिग्गजों के साथ बल्लेबाज़ी करे। हो सकता है कि राहुल द्रविड़ उसे अपने पास रखना चाहें और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज उसकी भरभूर  प्रशंसा करें। दूसरे छोर पर यशस्वी जयसवाल और संजू सैम्सन या रियान पराग और ध्रुव जुरैल जैसे बल्लेबाज़ बैटिंग करें। सूर्यवंशी ने जब 12 साल की उम्र में बिहार के लिये रणजी ट्रॉफी का मैच खेला तो सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं। 12 साल का लड़का। और वो भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट में? फिर इस साल जब इंडिया ए का मुक़ाबला ऑस्ट्रेलिया ए से एक यूथ टेस्ट में हुआ तो सूर्यवंशी ने ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी करते हुए 58 गेंदों में शतक ठोंका। ये ज़रूर है कि अपने पाँच फर्स्ट क्लास मैचों में सूर्यवंशी ने सिर्फ़ 100 रन बनाये हैं। उनका सर्वाधिक स्कोर 49 का है। पर फिर भी आईपीएल 2025 के लिए उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने साइन कर लिया है। पैसे दिये हैं एक करोड़ और 10 लाख रुपये। राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें ख़रीदा ये बड़ी बात नहीं हैं। बड़ी बात ये है कि सूर्यवंशी को ख़रीदने के लिए दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स में होड़ लग गई थी। दोनों सूर्यवंशी को अपनी टीम में चाहते थे। सूर्यवंशी के राजस्थान रॉयल्स में होने से वैभव के पिता संजीव बहुत खुश हैं। संजीव कहते हैं कि राजस्थान रॉयल्स हमेशे से नये खिलाड़ियों पर अपना दांव रखता आया है। ऐसा ही उन्होंने रियान पराग और यशस्वी जयसवाल के साथ किया। और ऐसा ही दांव उन्होंने संजू सैम्सन और ध्रुव जुरैल पर रखा। अब उन्होंने वैभव पर चांस लिया है और संजीव  कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि वैभव भी इन्ही सबकी तरह चमकेंगे। वैभव कोई वैभव में पल पोस के बड़े नहीं हुए हैं। उन्होंने बेहद ग़रीबी देखी है। उनके पिता बिहार के समस्तीपुर में रहते थे। पैसे कमाने के लिए वो बिहार को छोड़ के मुंबई आ गये । मुंबई में उन्होंने हर छोटे मोटे काम किया। एक बार तो शुलभ सोचालय में टॉयलेट साफ़ करने तक का काम किया। अब उनकी एक ही सोच है। और वो ये कि इतने पैसे पा के वैभव का दिमाग़ ना ख़राब हो जाए। संजीव कहते हैं कि इस शुरुआत के बाद अगर वैभव ने इंडिया के लिये नहीं खेला तो लानत है। वैसे संजीव का डर जायज़ हैं। हमारी क्रिकेट में ऐसे कई उधारण हैं जिसमें प्रतिभाशाली क्रिकेटर कुछ ख़ास ना कर पाए। जब छोटे थे, तो विनोद कांबली सचिन तेंदुलकर से भी अच्छे माने जाते थे ।पर फिर वो अंधकार में खो गये। कुछ ऐसा ही पृथ्वी शाह के साथ हो रहा है। उम्मीद करनी चाहिए कि वैभव से ये गलती नहीं होगी। और वो अपने टैलेंट के साथ न्याय करेंगे।