Pant टीम से बाहर; Ashwin ख़फ़ा: है कोई उसके जैसा?




ऋषभ पंत इंडिया की T20 टीम से बाहर हैं। चैम्पियंस ट्रॉफी में भी उनके चुने जाने की उम्मीद कम है। यानी जिस खिलाड़ी को आप तोप मानते हो। कहते हो कि ऐसी विलक्षण प्रतिभा किसी में नहीं है। मैदान के हर कोने पर शॉट मार लेते हैं। यहाँ तक कि कीपर के ऊपर से भी। पर फिर भी पंत का चयन कोच गौतम गंभीर के राजकाल में वाइट बॉल क्रिकेट में डिमडिमाता हुआ नज़र आता है। क्यों? T20 में तो इसका कारण आप बयान कर सकते हैं। संजू सैम्सन इस समय दिलोदिमाग़ पर छाये हुए हैं। पिछली पाँच T20 की पारियों में वो तीन शतक जड़ चुके हैं। ये कोई मामूली बात नहीं हैं। पर ODI क्रिकेट में पंत से क्या भूल हो गई? माना ये जा रहा है कि केएल राहुल उनसे बेहतर विकेटकीपर बल्लेबाज़ हैं 50 ओवर की क्रिकेट में। यहाँ भी चलो माना कि केएल राहुल का औसत 49 का है और पंत का ODI क्रिकेट में औसत 33 का है। पर पंत का स्ट्राइक रेट राहुल से ऊपर है। जहां राहुल का स्ट्राइक रेट 86 का है, पंत का 106 का है। सवाल ये नहीं है कि पंत बेहतर हैं या सैम्सन या केएल राहुल। सवाल ये है कि क्या विश्व की कोई भी टीम पंत को टीम से बाहर रखने की सोच भी सकती है। क्या विश्व की किसी भी टीम में ऐसे 11 खिलाड़ी हो सकते हैं जो पंत से बेहतर हों? ऑस्ट्रेलिया में सिवाय यशस्वी जयसवाल, नीतीश कुमार रेड्डी और केएल राहुल के किसी ने भी ऋषभ पंत के 255 रनों से ज़्यादा रन नहीं बनाये। कभी ये कहा जाता है कि पंत का रक्षात्मक खेल अच्छा नहीं है। कभी ये कहते हैं कि पंत बहुत ज़्यादा शॉट खेलते हैं। पर सचाई ये है कि पंत जैसा रिकॉर्ड इंडिया के भूत या वर्तमान में किसी के पास भी नहीं है। पंत टेस्ट क्रिकेट में 3000 रनों से सिर्फ़ 52 रन दूर हैं। उनका औसत है 42 का और बंदे ने 6 सैकड़े मारे हैं। और उससे भी बड़ी बात आपको बतायें। सात बार वो 90 के फेर में आउट हो चुके हैं। यानी अगर वो भी सैकड़े हो जाते तो पंत के 13 शतक होते। ऐसे में रविचंद्रन अश्विन काफ़ी ख़फ़ा हैं। वो कहते हैं कि पंत को वो सम्मान नहीं मिलता जो उन्हें मिलना चाहिए। अश्विन का ये कहना है कि पंत की आक्रामक बल्लेबाज़ी के बारे में क्या ही कहना। सभी जानते हैं कि जो शॉट वो खेल सकते हैं वो कोई नहीं खेल सकता। पर लोग उनके रक्षात्मक खेल के बारे में बात नहीं करते। मैं आपको बता सकता हूँ कि पंत से अच्छा रक्षात्मक खेल विश्व में किसी का नहीं है। अश्विन कहते हैं कि मैंने पंत को गेंदबाज़ी की है और मैं जानता हूँ कि उनका डिफेंसिव खेल कितना अच्छा है। अश्विन का मानना है कि पंत सॉफ्ट हैंड्स से गेंद को खेलते हैं जो बहुत कम लोग कर पाते हैं। यानी प्रहार हो तो भी और हल्के से खेलना हो तो भी, पंत बेमिसाल हैं। अश्विन ये कहते हैं कि आप कभी भी पंत को इनसाइड एज से बोल्ड होते हुए नहीं देखेंगे। या कभी भी आप पंत को lbw होते नहीं देखेंगे। फिर भी अश्विन कहते हैं कि अगर पंत आक्रामक और रक्षात्मक खेल में एक अच्छा ताल मेल कर सकते हैं तो वो हर मैच में शतक लगा सकते हैं। अश्विन कहते हैं कि अगर पंत किसी भी मैच में २०० गेंद खेल लें, तो आप उनका शतक पक्का ही समझिए। अब अश्विन ने तो अपनी बात कह दी। पर लोगों का ये मानना है कि अश्विन के असल निशाने पर कोच गौतम गंभीर हैं। जिस तरह से वाइट बॉल क्रिकेट में पंत किनारे लगाये जा रहे हैं, अश्विन की टिप्पणी एक तरह से उनके समर्थन में है। यानी इशारा कोच गौतम गंभीर को है कि भाई, पंत की इस तरह अलग थलग मत करो। ऐसा टैलेंट जल्दी नहीं होता। और अगर पंत हर पारी में रन नहीं बनाते हैं तो सब्र कीजिए। अभी बंदा सिर्फ़ 25 साल का है। आगे के दस साल आपकी टीम में रहेगा। और कप्तान भी हो सकता है। वाक़ई पंत को बचाने की ज़रूरत हैं। पंत जैसे खिलाड़ी क्या इंडिया में 11 हैं? अगर नहीं तो उनकी जगह टीम में हमेशा बनती है। टीम की फ़ेहरिस्त में सबसे ऊपर नाम उन्हीं का आना चाहिए।