Gambhir की नादानी से मेलबर्न टेस्ट गया ही समझिए!
गौतम गंभीर टीम इंडिया को बर्बाद करके छोड़ेंगे। ये बात अब तय है। मेलबर्न में जब चौथा टेस्ट मैच शुरू हुआ उसमें टीम इंडिया के 11 खेलने वाले खिलाड़ियों के नाम पढ़ कर सभी अचम्बे में रह गये। टीम में शुभमन गिल का नाम नहीं था। उनकी जगह वाशिंगटन सुंदर को टीम में रखा गया। यानी आपसे रन बन नहीं रहे हैं और आप अपने नंबर तीन के ही बल्लेबाज़ को टीम से निकाल देते हैं। इस श्रृंखला में टीम इंडिया ने अब तक पाँच पूरी पारियों खेली हैं। इसमें चार पारियों में उनके स्कोर रहे हैं 150, 180, 175 और 260 रन। यानी बल्लेबाज़ों से रन बन नहीं रहे हैं। और ऐसे में आप अपनी बल्लेबाज़ी शुभमन गिल को ना खिला के और कमज़ोर कर रहे हैं।माना कि वो दो टेस्ट मैच जो गिल ने खेले हैं इस श्रृंखला में उन्होंने कोई ख़ास प्रदर्शन नहीं किया है। पर इस तरह तो रोहित शर्मा भी कुछ ख़ास नहीं कर पायें हैं। फिर गिल पर ही गाज क्यों। इसी मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर पिछली बार गिल ने 47 और 35 रनों की अच्छी पारियाँ खेली थी। श्रृंखला 1-1 पर फँसी है। रन आप से बन नहीं रहे हैं। और आप बल्लेबाज़ी को और भी कमज़ोर कर रहे हैं। बात यहीं तक रुकती तो ठीक था। सवाल उठता है कि आपने वाशिंगटन सुंदर को क्यों खिलाया। आपने सुंदर को इसलिए खिलाया क्योंकि आप उनको एक बोलिंग ऑलराउंडर की तरह देख रहे हैं। यानी आपकी टीम के नंबर वन ऑफ-स्पिनर वाशिंगटन सुंदर हैं। यानी ये सुंदर अश्विन से भी अच्छे ड्रेसिंग रूम में माने जा रहे थे और इससे से खीज के रविचंद्रन अश्विन ने ब्रिसबेन टेस्ट के बाद संन्यास ले लिया था। अब अगर आप सुंदर को अश्विन से अच्छा गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ मानते हो, और गिल को जगह खिलाते हो, तो आपने सुंदर को पहले दिन चाय के समय तक कितने ओवर दिये? सुंदर ने चाय से पहले का आख़िरी ओवर फेंका। यानी उससे पहले जो 52 ओवर चार घंटे में फेंके गये, उसमें आपने सुंदर से एक भी ओवर नहीं फ़िकवाया। माना ये जा रहा है कि ये रोहित शर्मा का गंभीर से सहमत ना होने का एक तरीक़ा था। रोहित शायद सुंदर के चयन से खुश नहीं हैं। पर क्योंकि आजकल गंभीर की चल रही है उन्होंने सुंदर को खिलाया ज़रूर पर उसे 52 ओवर तक गेंदबाज़ी ही नहीं करवाई। तब तक ऑस्ट्रेलिया इंडिया की गिरफ़्त से बहुत दूर निकल गया था। ऑस्ट्रेलिया का स्कोर चाय के समय 2 विकेट पर 176 रन था। जिस टीम में रवीन्द्र जडेजा नंबर 6 पर बल्लेबाज़ी करने आ रहे हैं उस टीम की बल्लेबाज़ी को आप मज़बूत तो नहीं कह सकते। हर कोई यहीं कहेगा कि टीम में एक बल्लेबाज़ कम है। अगर आप सुंदर को गेंदबाज़ की तरह खिला रहे हो तो उससे बोलिंग क्यों नहीं करवाई गई? और अगर उन्हें बल्लेबाज़ के रूप में खिलाया गया तो क्या वो शुभमन गिल से बेहतर माने जा रहे हैं। मतलब आप किसी भी तरह से देख लें, गिल से ऊपर सुंदर को खिलाना बनता नहीं है। गंभीर प्रयोग के नाम पर सीनियर खिलाड़ियों को तोड़ रहे हैं। पहले अश्विन गये और अब गिल। इससे जडेजा और बाक़ी के सीनियर खिलाड़ियों की मानसिक स्तिथि अच्छी होगी या ख़राब। सच तो ये है कि गंभीर को वाइट बॉल क्रिकेट में उनकी क़ाबलियत पर टीम में रखा गया है। पर टेस्ट मैचों को वो वाइट-बॉल क्रिकेट के नज़रिए से खेलना चाहते हैं। और इससे टीम इंडिया का बँटाधार हो रहा है।